16 For God so loved the world that he gave his only Son, that everyone who believes in him should not perish but have everlasting life. 17 For God did not send his Son into the world to condemn the world but to save the world through him. 18 Whoever believes in him should not be condemned; but whoever does not believe in him is condemned already, because he has not believed in the name of God's only Son.oly words of lord jesus
Thursday, December 19, 2024
प्रभु यीशु के आशीष पाने के लिए हमें क्या करना चाहिए ? What should we do to receive the blessings of Jesus Christ?
प्रभु यीशु के आशीष पाने के लिए हमें क्या करना चाहिए ?
(1)- बाइबल पढ़ें और उसमें दी गई शिक्षाओं को अपने जीवन में लागू करें।
(1) - अपने कार्यों और विचारों में ईमानदारी रखें।
(1) - कठिन समय में भी प्रभु यीशु पर विश्वास बनाए रखें।
(1) Have true faith in Jesus Christ.
(1)- Read the Bible and apply the teachings given in it in your life.
(1) - Maintain faith in Lord Jesus even in difficult times.
Monday, December 16, 2024
प्रभु यीशु के जन्म के विषय में बाइबल के पुराने विधान (Old Testament) में कई भविष्यवाणियां की गई .
प्रभु यीशु के जन्म के विषय में बाइबल के पुराने विधान (Old Testament) में कई भविष्यवाणियां की गई .
हेलो मसीह भाई और बहनों, आज कि इस लेख में हम जाएंगे की, प्रभु यीशु के जन्म के विषय में बाइबल के पुराने विधान (Old Testament) में कई भविष्यवाणियां की गई हैं, जो उनके आगमन और उनके जीवन के विभिन्न पहलुओं को दर्शाती हैं। यह भविष्यवाणियां उनके मसीहा होने का संकेत या संदेश देती हैं. आइए हम जाने की पुराने विधान (Old Testament) में प्रभु यीशु के जन्म की भविष्यवाणी के विषय में किन-किन वचनों में कहां गया है?
(1) प्रभु यीशु मसीहा का जन्मस्थान की भविष्यवाणी:-
मीकाह का ग्रंथ 5:1
"हे बेतलेहेम एफ्राता !
जो यूदा के वंशों में छोटा है.
जो इजराइल का शासन करेगा,
वह मेरे लिए तुझ में उत्पन्न होगा.
उसकी उत्पत्ति सुदूर अतीत में,
अत्यंत प्राचीन काल में हुई है.
- यह भविष्यवाणी स्पष्ट करती है कि मसीहा बेतलेहेम में जन्म लेंगे, और यह प्रभु यीशु मसीह के जन्मस्थान से मेल खाती है।
(2.) कुंवारी कन्या से जन्म लेने की भविष्यवाणी
*इसायाह का ग्रंथ 7:14 इम्मनूल का चिन्ह :-
प्रभु स्वयं तुम्हें एक चिन्ह देगा और वह यह है-
एक कुंवारे गर्भवती है वह एक पुत्र को प्रसव करेगी और वह उसका नाम इम्मानुएल रखेगी।"
- "इम्मानुएल" का अर्थ है "ईश्वर हमारे साथ।"
इस वचन में, भविष्यवाणी प्रभु यीशु के अद्भुत और अलौकिक जन्म की ओर संकेत करती है।
( 3.) दाऊद के वंशज के रूप में मसीहा की भविष्यवाणी
इसायाह 9:5.6
"यह इसलिए हुआ कि हमारे लिए
एक बालक उत्पन्न हुआ है,
हमको एक पुत्र मिला है.
उसके कंधों पर राज्याधिकार रखा गया है
और उसका नाम होगा- अपूर्व परामर्शदाता, शक्तिशाली ईश्वर, शाश्वत पिता,शांति का राजा.
वह दाऊद के सिंहासन पर विराजमान होकर सदा के लिए शांति, न्याय और धार्मिकता का साम्राज्य स्थापित करेगा
विश्वमंडल के प्रभु का अनन्य प्रेम यह कार्य संपन्न करेगा.
- यह वचन स्पष्ट करता है कि मसीहा दाऊद के वंश से आएंगे और उनकी प्रभुता अनन्तकाल तक बनी रहेगी।
(4.) मसीहा का स्वर्गीय उद्देश्य
उत्पत्ति ग्रंथ 3:15
"मैं तेरे और स्त्री के बीच, तेरे वंश और उसके वंश में शत्रुता उत्पन्न करूंगा.वह तेरा सिर कुचल देगा और तू उसकी एडी काटेगा.
यह पहली मसीहाई भविष्यवाणी मानी जाती है, जो पाप और शैतान पर यीशु की विजय की ओर इशारा करती है।
(5.) मसीहा के आगमन का समय की भविष्यवाणी
दानिएल का ग्रंथ 9:25
"अतः जानकर यह समझ लो,
जेरूसलम के पुननिर्माण के विषय में आदेश प्रसारित होने से लेकर अभ्यंजीत नेता के आगमन तक 7 सप्ताह बीत जाएंगे;
फिर 62 सप्ताह तक चौको और खाई सहित उसका निर्माण
वह भी आपत्ति के दिनों में पूरा होगा।"
- यह भविष्यवाणी यीशु के आगमन और उनके मिशन की समय-सीमा को दिखाती है।
(6.) विदेशियों द्वारा आराधना,
स्रोत ग्रंथ (भजन संहिता )72:10-11
" तसशीश और द्वीपों के राजा
उन्हें उपहार देने आएंगे,शेबा और सबा के राजा
उन्हें भेंट चढ़ने आएंगे.
सभी राजा उन्हें दंडवत करेंगे.
सभी राष्ट्र उनके अधीन रहेंगे.
- यह मसीहा के प्रति विदेशी राजाओं (जैसे, ज्योतिषियों) की आराधना की भविष्यवाणी है।
पुराना विधान (Old Testament) प्रभु यीशु मसीहा के आने का मार्ग तैयार करता है, और नया विधान उनके जन्म, जीवन, मृत्यु, और पुनरुत्थान के विवरण को पूर्ण करता है। इन भविष्यवाणियों का नया विधान (New Testamewnt) में पूरा होना यह प्रमाणित करता है कि प्रभु यीशु मसीह ही वह प्रतिज्ञात मसीहा हैं।
Thursday, December 12, 2024
सीरुस से सहायता का संदेश (इसायाह का ग्रंथ 41:-13.20)
सीरुस से सहायता का संदेश( इसायाह का ग्रंथ 41:-13.20)
क्योंकि मैं तुम्हारा प्रभु ईश्वर हूं.
मैं तुम्हारा दाहिना हाथ पकड़ कर तुमसे कहता हूं-
मत डरो; देखो, मैं तुम्हारी सहायता करूंगा.
याकूब! तुम कीड़े जैसे हो गए हो.
इजरायल! तुम शव जैसे हो गए हो.
प्रभु कहता है- मैं तुम्हारी सहायता करूंगा,
इजराइल का परम पावन प्रभु तुम्हारा उद्धारक़ है.
मैं तुमको दंवरी का यंत्र बनाता हूं-
नया सुधार और पैना.
तुम पहाड़ों को दांव कर चूर-चूर करोगे
और पहाड़ियों को भूसी बना दोगे.
तुम उन्हें गुस्सा ओसाओगे-
हवा उन्हें उड़ा ले जाएगी
और आंधी उन्हें छितरा देगी.
तुम प्रभु में आनंद मनाओगे
और इजरायल के परम पावन ईश्वर पर गौरव
करोगे.
दरिद्र पानी ढूंढते हैं और पते नहीं,
उनकी जीभ प्यास के मारे सूख गई है.
मैं, प्रभु उनकी दुहाई पर ध्यान दूंगा;
मैं, इजराइल का ईश्वर उन्हें नहीं त्यागूंगा.
मैं उजड़ पहाड़ियों पर से नादियां
और घाटियों में जल धाराएं बह दूंगा.
मैं मरुभूमि को झील बनाऊंगा
और सूखी भूमि को जल स्रोतों से भर
दूंगा.
मैं मरुभूमि में देवदार,
बबुल, मेहंदी और जैतून लगा दूंगा.
मैं उजड़ खंड में खजूर चीड़ और चनार के
वृक्ष लगाऊंगा.
इस प्रकार सब देखकर जानेंगे,
सब उसे पर विचार कर स्वीकार करेंगे
के प्रभु ने यह सब किया है,
इसराइल के परम पावन ईश्वर ने इनकी
सृष्टि की है.
Message of help from Cyrus (Isaiah 41:13.20)
Because I am your God.
I hold your right hand and tell you-
do not fear; Look, I will help you.
Jacob! You have become like insects.
Israel! You have become like a dead body.
The Lord says- I will help you,
The Most Holy Lord of Israel is your Redeemer.
I will make you an instrument of dhanwari-
New improvement and sharpening.
you will raze mountains to pieces
And you will turn the hills into husk.
You will make them angry-
the wind will blow them away
And the storm will scatter them.
you will rejoice in the lord
And glory to the Most Holy God of Israel
Will do.
The poor look for water and do not find it,
His tongue has become dry due to thirst.
I, Lord, will pay attention to their cry;
I, the God of Israel, will not abandon them.
I rivers from desolate hills
And I will make streams of water flow in the valleys.
I will turn the desert into a lake
And fill the dry land with water sources
Give.
I am a cedar in the desert,
I will apply babul, henna and olive.
I am among the palm trees and poplar trees in the desolate area.
I will plant trees.
In this way everyone will know after seeing,
everyone will consider and accept him
The Lord has done all this,
The Most Holy God of Israel
Is of creation.
Tuesday, December 10, 2024
आगमन क्या है और यह कब शुरू होता है ?
आगमन क्या है और यह कब शुरू होता है?
हेलो मसीह भाई बहनों. आखिर क्रिसमस से पहले आगमन काल क्यों मनाया जाता है,और इस आगमन काल में किस-किस चीज की तैयारी की जाती है,आइऐ हम जाने इस लेख में:-
आगमन काल (Advent)
आगमन काल(Advent) :- जो प्रभु यीशु मसीह के जन्म यानी क्रिसमस के आने की तैयारी और प्रतीक्षा का प्रतीक है। यह काल क्रिसमस से पहले के चार रविवारों से शुरू होकर 24 दिसंबर (क्रिसमस के पहले दिन शाम को) तक चलता है।
आगमन काल का उद्देश्य:- आत्मा को शुद्ध करना, विश्वास को गहरा करना, और प्रभु यीशु मसीह के आगमन के लिए मानसिक और आध्यात्मिक रूप से तैयार होना है।
आगमन काल मनाने के प्रमुख कारण इस प्रकार से हैं:-
1. प्रभु के जन्म की प्रतीक्षा:-
यह काल हम मसीह भाइयों और बहनों को यीशु मसीह के पहले आगमन की याद दिलाता है, जब वे इस दुनिया में जन्म लेने आए थे।
2. आध्यात्मिक तैयारी:-
यह समय हम मसीह भाइयों और बहनों के लिए आत्मनिरीक्षण, प्रार्थना, उपवास और अच्छे कार्यों के लिए समर्पित होता है, जिससे हम अपने जीवन में प्रभु यीशु मसीह की उपस्थिति को महसूस कर सके।
3. दूसरे आगमन की आशा:-
आगमन काल न केवल प्रभु यीशु मसीह के पहले आगमन की प्रतीक्षा करता है, बल्कि उनके दूसरे आगमन (पुनरागमन) की आशा और तैयारी का प्रतीक भी है।
4. आनंद, खुशी और आशा का समय:- यह समय हम मसीह भाइयों और बहनों के लिए परिवार और समुदाय के साथ प्रेम, शांति, और आशा बांटने का अवसर प्रदान करता है।
आगमन काल के प्रतीक(symbols of advent)
1. आगमन का माला (Advent Wreath):- इसमें चार मोमबत्तियां होती हैं, जो हर रविवार को जलाई जाती हैं। यह मोमबत्तियां आशा, शांति, आनंद और प्रेम का प्रतीक हैं।
2. बैंगनी रंग:- इस आगमन काल में बैंगनी रंग का प्रयोग होता है, जो पश्चाताप और तैयारी का प्रतीक है।
आगमन काल कैसे मनाया जाता है?
(1) प्रार्थना और भजन.
(2) बाइबिल का गहरा अध्ययन.
(3) चर्च में विशेष समारोह.
(4) गरीबों और जरूरतमंदों की मदद करना.
आगमन काल क्रिसमस ( यानी प्रभु यीशु मसीह के जन्म ) की पवित्रता और गहराई को समझने का एक महत्वपूर्ण समय है, जो आध्यात्मिक और सामाजिक जीवन को समृद्ध करता है।
Why is Advent celebrated?
Hello Christian brothers and sisters. Why is Advent celebrated before Christmas, and what preparations are made during this Advent, let us know in this article:-
Advent:-
Advent: - which is a symbol of preparation and waiting for the birth of Lord Jesus Christ i.e. Christmas. This period starts from the four Sundays before Christmas and continues till 24 December (in the evening of the first day of Christmas).
Purpose of the arrival period: -To purify the soul, deepen the faith, and prepare mentally and spiritually for the coming of the Lord Jesus Christ.
The main reasons for celebrating Advent are as follows:-
1. Waiting for the birth of the Lord: - This period reminds us, our Christian brothers and sisters, of the first coming of Jesus Christ, when he was born into this world.
2. Spiritual preparation:- This time is dedicated for us Christian brothers and sisters for introspection, prayer, fasting and good deeds, so that we can feel the presence of Lord Jesus Christ in our lives.
3. Hope of the second coming:- The season of Advent not only awaits the first coming of the Lord Jesus Christ, but also symbolizes the hope and preparation for His second coming (Return).
4. A time of joy, happiness and hope:-This time provides an opportunity for us, our brothers and sisters in Christ, to share love, peace, and hope with our families and communities.
symbols of advent:-
(1)Advent Wreath:- It contains four candles, which are lit every Sunday. These candles symbolize hope, peace, joy and love.
2. Purple color: - The color purple is used during this Advent season, which symbolizes repentance and preparation.
How is Advent celebrated ?
(1) Prayers and hymns.
(2) Deep study of the Bible.
(3) Special ceremonies in church.
(4) Helping the poor and needy.
Advent is an important time to understand the holiness and depth of Christmas (the birth of the Lord Jesus Christ), which enriches spiritual and social life.
Monday, December 9, 2024
"मैं जीवन की रोटी हूं" इस वचन का अर्थ:
प्रभु यीशु ने कहा "मैं जीवन की रोटी हूं" इस वचन का अर्थ :-
यीशु मसीह ने उनसे कहा, " जीवन की रोटी में हूं" . जो मेरे पास आएगा वह कभी भूखा न होगा और जो मुझ पर विश्वास करेगा, वह कभी प्यास ना होगा. परंतु मैं तुमसे कहा, कि तुमने मुझे देख भी लिया है, तो भी विश्वास नहीं करते. जो कुछ पिता मुझे देता है वह सब मेरे पास आएगा. और जो कोई मेरे पास आएगा उसे मैं कभी नहीं निकलेगा.
यीशु मसीह ने यह बात पाँच रोटियों और दो मछलियों से 5,000 लोगों को भोजन कराने के बाद कही थी.
प्रभु यीशु ने कहा "मैं जीवन की रोटी हूं" (I am the Bread of Life) बाइबल में संत योहन 6:35 में मिलता है। यह कथन गहरी आध्यात्मिक सच्चाई और प्रतीकात्मकता (symbolism)को दर्शाता है।
यीशु ने कहा:
"मैं जीवन की रोटी हूं। जो मेरे पास आता है, वह कभी भूखा न रहेगा; और जो मुझ पर विश्वास करता है, वह कभी प्यासा न होगा।"योहन 6:35
इस वचन का अर्थ:-
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आध्यात्मिक भूख का समाधान:-
प्रभु यीशु ने "जीवन की रोटी" के रूप में स्वयं को प्रस्तुत किया, जिससे उनका तात्पर्य यह था कि जैसे शारीरिक शरीर को जीवित रहने के लिए भोजन की आवश्यकता होती है, ठीक वैसे ही आत्मा को जीवित रहने और पूर्णत: पाने के लिए यीशु मसीह पर विश्वास और परमेश्वर के साथ संबंध की आवश्यकता होती
शाश्वत जीवन का आश्वासन:-रोटी दैनिक जीवन के लिए एक आवश्यक भोजन है। यीशु मसीह ने इसे एक प्रतीक के रूप में उपयोग करके यह स्पष्ट किया कि जो लोग उन पर विश्वास करते हैं, और उनका अनुसरण करते हैं, वे आत्मिक रूप से तृप्त होंगे और उन्हें शाश्वत जीवन प्राप्त होगा।
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पारंपरिक मन्ना से तुलना:-
इस वचन से पहले, प्रभु यीशु ने अपने सुननेवालों को इस्राएलियों के मन्ना (स्वर्ग से आया भोजन) की याद दिलाई, जो उन्हें जंगल में मिला था। उन्होंने कहा कि वह मन्ना जो इस्राएलियों ने खाया था, केवल शारीरिक भूख को शांत करता था, लेकिन वह "जीवन की रोटी" हैं, जो आत्मिक जीवन और शाश्वत तृप्ति प्रदान करती है। -
प्रभु भोज (Holy Communion):-
इस कथन का संबंध ईसाई धर्म के "प्रभु भोज" (Holy Communion) से भी जोड़ा जाता है। इस समारोह में रोटी और दाखरस यीशु के शरीर और रक्त का प्रतीक माने जाते हैं। यह यीशु के बलिदान और उनके साथ आत्मिक एकता का प्रतीक है।
व्यावहारिक संदेश:
यीशु का यह वचन हमें सिखाता है कि केवल भौतिक साधनों से जीवन की तृप्ति नहीं हो सकती। सच्ची शांति और पूर्णत: परमेश्वर में विश्वास और आध्यात्मिक जीवन के माध्यम से ही प्राप्त होती है।
Lord Jesus said "I am the bread of life" meaning of this word:-
Jesus Christ said to them, "I am the bread of life". Whoever comes to me will never be hungry and whoever believes in me will never be thirsty. But I told you that even if you have seen me, you still do not believe me. Whatever the Father gives me will come to me. And whoever comes to me I will never turn away.
Jesus Christ said this after feeding 5,000 people with five loaves of bread and two fish.
Lord Jesus said "I am the Bread of Life" is found in the Bible in Saint John 6:35. This statement reflects deep spiritual truth and symbolism.
Jesus said:
"I am the bread of life. He who comes to me will never hunger; and he who believes in me will never thirst."John 6:35
Meaning of this verse:-
(1)Solution to spiritual hunger:- The Lord Jesus presented Himself as the “Bread of Life,” by which He meant that just as the physical body needs food to survive, so the soul needs food to survive and be fulfilled. Requires faith in Christ and relationship with God.
(2)Assurance of Eternal Life:- Bread is an essential food for daily life. Jesus Christ used it as a symbol to make it clear that those who believe in him, and follow him, will be spiritually satisfied and have eternal life.
(3)Comparison with traditional manna:-Before this verse, the Lord Jesus reminded His listeners of the Israelites' manna (food from heaven), which they found in the wilderness. He said that the manna that the Israelites ate only satisfied physical hunger, but that it was the "bread of life" that provided spiritual life and eternal satisfaction.
(4)Holy Communion:-This statement is also related to the "Holy Communion" of Christianity. In this ceremony the bread and wine are considered symbols of the body and blood of Jesus. It symbolizes the sacrifice of Jesus and spiritual union with him.
message:
This word of Jesus teaches us that life cannot be fulfilled only by material means. True peace is achieved only through faith in God and spiritual life.
Saturday, December 7, 2024
प्रभु यीशु का जन्मदिन आने पर हमें क्या तैयारी करनी चाहिए ?
प्रभु यीशु का जन्मदिन आने पर हमें क्या तैयारी करनी चाहिए ?
हेलो मसीह भाई बहनों. आज के लेख में हम जानेंगे कि , 25 दिसंबर को प्रभु यीशु का जन्मदिन आ रहा है जिसे हम क्रिसमस के रूप में मनाते हैं,यह एक महत्वपूर्ण धार्मिक और आध्यामिक अवसर है.इन सभी बातों को ध्यान में रखते हुए, इस दिन को मनाने के लिए हमें अपनी तैयारी ध्यानपूर्वक और श्रद्धा के साथ करनी चाहिए. ताकि यह केवल एक उत्सव ना बने बल्कि हमारे जीवन में आध्यात्मिक उन्नति और सामूहिक प्रेम का स्रोत बने. उनके आगमन पर हमारे हृदय में, हमारे परिवारों में, हमारे पड़ोसियों में और हमारे समाज में, प्रभु यीशु के लिए हमें किस प्रकार की तैयारी करनी चाहिए?
1. आध्यात्मिक या आंतरिक तैयारी :-
- रोज हमें बाइबल पढ़ने चाहिए:-
प्रभु यीशु के जन्म और उनके जीवन के बारे में बाइबिल में लिखा गया है। इस दिन को मनाने के लिए बाइबिल की कुछ प्रमुख वचनों को पढ़ना और समझना, जिस प्रकार से प्रभु यीशु के शिष्यों ने उनकी शिक्षाओं को अपने जीवन में ग्रहण किया. ठीक उसी प्रकार से हमें भी हमें भी प्रभु यीशु की शिक्षाओं को अपने जीवन में ग्रहण करना चाहिए.

- प्रभु यीशु से प्रार्थना करना :-
- जरूरतमंदों ,लाचार और गरीबों की मदद करें:-
- प्रेम ,दया और सहानुभूति दिखाना:- इस दिन, हमें अपने आस-पास के लोगों के प्रति प्रेम, दया और सहानुभूति और सहकार्य का भाव रखना चाहिए। किसी को खुश करना या उन्हें अपनी मदद से खुशी देना भी एक प्रकार से प्रभु यीशु के जन्म को मनाने का तरीका हो सकता है।
2. घर की सजावट:-
- क्रिसमस ट्री और सजावट: -
- प्रभु यीशु के जन्म स्थल की याद:-
3. उपहारों का आदान-प्रदान:-
- प्रेम और दयालुता के प्रतीक:- प्रभु यीशु के जन्म के समय, तीन ज्ञानी पुरुष उन्हें उपहार लेकर आए थे.(संत मत्ती 2:-1-2) इसी तरह, हम भी अपने प्रियजनों को उपहार दे सकते हैं, लेकिन उपहारों का आदान-प्रदान प्रेम और दयालुता के प्रतीक के रूप में किया जाना चाहिए।
- साझा खुशी:- इस दिन का असली उपहार प्रेम, स्नेह और आनंद को साझा करना है।
4. विशेष भोजन और परंपराएँ:-
- क्रिसमस भोज: क्रिसमस का समय विशेष भोजन , मिठाईयों और क्रिसमस केक का होता है। इस दिन को परिवार और मित्रों के साथ मिलकर विशेष भोजन तैयार करना और साथ में आनंदित समय बिताना.
- प्रेम और एकता का प्रतीक: भोजन और उत्सवों के दौरान हमें यह याद रखना चाहिए कि यह एकता, परिवार, और प्रेम का पर्व है। इसलिए, हमें हर किसी के साथ प्रेमपूर्वक व्यवहार करना चाहिए।
5. आध्यात्मिक पुनःसमीक्षा:-
- पापों की माफी और जीवन में सुधार:-
- आध्यात्मिक जीवन को पुनर्जीवित करना: प्रभु यीशु का जन्म हमारे जीवन को आध्यात्मिक रूप से पुनः जीवित करने का समय है। हमें इस अवसर पर अपनी आत्मा की शुद्धि की ओर ध्यान देना चाहिए और अपने जीवन में प्रभु की उपस्थिति को महसूस करना चाहिए।
6. संगीत और नृत्य:-
- क्रिसमस कैरोल गाना:- क्रिसमस के दौरान कैरोल गाने का एक महत्वपूर्ण धार्मिक और सांस्कृतिक परंपरा है। यह प्रभु के जन्म की खुशी और सम्मान में गाए जाते हैं। हमें इस दिन को संगीत और भक्ति के साथ मनाना चाहिए, जो हमें प्रभु के साथ जुड़ने और उनके संदेश को फैलाने में मदद करे।
7. सकारात्मक और उत्साही मानसिकता
- आध्यात्मिक दृष्टिकोण:- हमें इस दिन को केवल एक त्योहार के रूप में न देखें, बल्कि यह दिन हमारे जीवन में प्रभु यीशु के प्रेम और आशीर्वाद का स्वागत करने का अवसर होना चाहिए। हमें अपनी मानसिकता को सकारात्मक बनाए रखना चाहिए, ताकि हम इस दिन को पूरी श्रद्धा और प्रेम से मना सकें।
इन तैयारियों के माध्यम से हम क्रिसमस को केवल एक उत्सव नहीं, बल्कि एक आध्यात्मिक अनुभव और प्रभु यीशु के प्रेम को जीवन में उतारने का समय बना सकते हैं।
What preparations should we make when the birthday of Lord Jesus comes?
Hello Christ brothers and sisters. In today's article we will know that the birthday of Lord Jesus is coming on 25th December which we celebrate as Christmas, it is an important religious and spiritual occasion. Keeping all these things in mind, there are ways to celebrate this day. For this, we should do our preparation carefully and with devotion. So that it becomes not just a festival but a source of spiritual progress and collective love in our lives. What kind of preparations should we make for the Lord Jesus at His coming in our hearts, in our families, in our neighbors, and in our society?
1. Spiritual or internal preparation :-
* We should read the Bible daily:-The birth and life of Lord Jesus is written in the Bible. To celebrate this day, read and understand some key verses of the Bible, the way the disciples of Lord Jesus accepted His teachings in their lives. In the same way, we too should accept the teachings of Lord Jesus Christ in our lives.
*Revitalizing Spiritual Life:- The birth of Lord Jesus is a time to revitalize our lives spiritually. We should take this opportunity to pay attention to the purification of our soul and feel the presence of the Lord in our lives.
6. Music and Dance:-
7. Positive and enthusiastic mindset
Through these preparations we can make Christmas not just a celebration, but a spiritual experience and a time to live out the love of Lord Jesus.
Friday, December 6, 2024
पवित्र बाइबल में किन-किन वचनों में प्रभु यीशु को यहूदियों का राजा कहा गया?
पवित्र बाइबल में किन-किन वचनों में प्रभु यीशु को यहूदियों का राजा कहा गया?
बाइबल में कई स्थानों पर प्रभु यीशु को "राजा " कहां गया है कुछ प्रमुख वचन इस प्रकार से हैं
(3) संत योहन (यूहन्ना) 18:- 36-37- प्रभु यीशु ने उत्तर दिया, मेरा राज्य इस संसार का नहीं है. यदि मेरा राज्य इस संसार का होता, तो मेरे अनुयायी लड़ते और मैं यह यहूदियों के हवाले नहीं किया जाता. परंतु मेरा राज्य यहां का नहीं है. इस पर पिलातुस ने उनसे कहा, तो, तुम राजा हो? ईसा ने उत्तर दिया ," आप ठीक हैं कहते हैं. मैं राजा हूं.

(4) संत लुकस 23:-3- पिलातुस ने ईसा से यह प्रश्न किया, क्या तुम यहूदियों के राजा हो? प्रभु यीशु ने उत्तर दिया. " आप ठीक ही कहते हैं"
(5) प्रकाशना ग्रंथ 19:-16- उसके वस्त्र और उसकी जांघ पर यह नाम अंकित है- राजाओं का राजा और प्रभु का प्रभु.
(6) प्रकाशना ग्रंथ 17:- 14- वे मेमने से युद्ध करेंगे और मेमना उन्हें पराजित कर देगा, क्योंकि वह प्रभु का प्रभु एवं राजाओं का राजा है.
पवित्र बाइबल के वचनों में प्रभु यीशु को " राजा " के रूप में पहचान गया है, और यह वचन बताते हैं कि प्रभु यीशु मसीह का राजत्व न केवल पृथ्वी पर , बल्कि आकाश और पृथ्वी दोनों पर है.
परमेश्वर की आशीष और कृपा हम सबके परिवार पर बनी रहे. आमेन
In which verses of the Holy Bible is Lord Jesus called the King of the Jews?
Hello Masih brothers and sisters, in today's article we will know in which verses of the Holy Bible is Lord Jesus called the King of the Jews?
In the Bible, Lord Jesus has been called "King" at many places. Some important verses are as follows:
(1) Saint Matthew 2:-1-2 Lord Jesus was born in Bethlehem of Judea during the time of King Herod. After this, astrologers came to Jerusalem from the east and said, where is the newborn King of the Jews? We saw his star rising. We have come to worship him.
(2) Saint Matthew 27:- 11- Lord Jesus was now standing before the governor. The governor asked him, are you the King of the Jews? Jesus replied, "You are right".
(3) St. John 18:- 36-37- The Lord Jesus answered, My kingdom is not of this world. If my kingdom were of this world, my followers would fight, and I would not have been handed over to the Jews. But my kingdom is not from here. Pilate said to him, "So, you are a king?" Jesus answered, "You are right. I am a king.
4) St. Luke 23:-3- Pilate asked Jesus, “Are you the King of the Jews?” Jesus answered, “You are right.”
(5) Revelation 19:-16- On his robe and on his thigh is written the name, King of kings and Lord of lords.
(6) Revelation 17:-14- They will make war against the Lamb, and the Lamb will defeat them, because he is Lord of lords and King of kings.
In the words of the Holy Bible, the Lord Jesus is identified as “King”, and these words show that the kingship of the Lord Jesus Christ is not only on earth, but in heaven and on earth.
May God’s blessings and grace be upon all of our families. Amen
I Am the Bread of Life "जीवन की रोटी मैं"
"जीवन की रोटी मैं" [ I Am the Bread of Life"] बाइबल में "जीवन की रोटी" का उल्लेख विशेष रूप से यीशु मसीह के द्वारा...

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प्रभु यीशु के जन्म के विषय में बाइबल के पुराने विधान (Old Testament) में कई भविष्यवाणियां की गई . हेलो मसीह भाई और बहनों, आज कि इस लेख में...
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बाइबिल को दुनिया भर में सबसे अधिक पढ़ा जाने वाला और सबसे अधिक प्रभावशाली पवित्र पुस्तक माना जाता है। यह लाखों लोगों के जीवन को बद...
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"जीवन की रोटी मैं" [ I Am the Bread of Life"] बाइबल में "जीवन की रोटी" का उल्लेख विशेष रूप से यीशु मसीह के द्वारा...