"जीवन की रोटी मैं" [ I Am the Bread of Life"]
बाइबल में "जीवन की रोटी" का उल्लेख विशेष रूप से यीशु मसीह के द्वारा कहा गया एक वचन है, जो संत योहन रचित सुसमाचार (Bible - Gospel of John) में मिलता है। यह वचन संत योहन:- 6:35 में लिखा है:
"जीवन की रोटी में हूं".["I Am the Bread of Life"] जो मेरे पास आता है , उसे कभी भूख नहीं लगेगी और जो मुझ में विश्वास करता है, उसे कभी प्यास नहीं लगेगी".
आईए इस लेख में देखें और जाने की, प्रभु यीशु ने जीवन की रोटी मैं हूं ऐसा क्यों कहा?
"जीवन की रोटी में हूं".["I Am the Bread of Life"] संत योहन:- 6:34.58
लोगों ने ईसा से कहा, " प्रभु! आप हमें सदा वही रोटी दिया करें". उन्होंने उत्तर दिया , जीवन की रोटी में हूं, जो मेरा पास आता है, उसे कभी भूख नहीं लगेगी और जो मुझ में विश्वास करता है, उसे कभी प्यास नहीं लगेगी. फिर भी, जैसा कि मैं तुम लोगों से कहा, तुम मुझे देखकर भी विश्वास नहीं करते. पिता जिन्हें मुझ को सौंप देता है.वह सब मेरे पास आएंगे और जो मेरे पास आता है, मैं उसे भी नहीं ठुकराऊंगा; क्योंकि मैं अपनी इच्छा नहीं, बल्कि जिसने मुझे भेजा , उसकी इच्छा पूरी करने के लिए स्वर्ग से उतरा हूं. जिसने मुझे भेजा , उसकी इच्छा यह है कि जिन्हें उसने मुझे सोंपा है, मैं उन में से एक कभी सर्वनाश न होने दूं, बल्कि उन सबों को अंतिम दिन पुनर्जीवित कर दूं.
मेरे पिता की इच्छा यह है कि जो पुत्र को पहचान कर उसमें विश्वास करता है, उसे अनंत जीवन प्राप्त हो.मैं उसे अंतिम दिन पुनर्जीवित कर दूंगा. इसने कहा था," स्वर्ग से उतरी हुई रोटी में हूं". इस पर यह होती यह कहते हुए भुंभुनाते थे, क्या यह यूसुफ का बेटा ऐसा नहीं है? हम इसके मां-बाप को जानते हैं. तो यह कैसे कर सकता है मैं स्वर्ग से उतरा हूं"?
प्रभु यीशु
ने उन्हें उत्तर दिया, आपस में मत भूनभुनाओ . कोई मेरे पास तब तक नहीं आ सकता , जब तक की पिता, जिसने मुझे भेजा उसे आकर्षित नहीं करता. मैं उसे अंतिम दिन पुनर्जीवित कर दूंगा. नबियों ने लिखा है, वह सब के सब ईश्वर से शिक्षा पाएंगे. जो ईश्वर की शिक्षा सुनता और ग्रहण करता है, वह मेरे पास आता है.यह न समझो कि किसी ने पिता को देखा है; जो ईश्वर की ओर से आया है, उसी ने पिता को देखा है. मैं तुम लोगों से यह कहता हूं- जो विश्वास करता है, उसे अनंत जीवन प्राप्त है. जीवन की रोटी मैं हूं. तुम्हारे पूर्वजों ने मा भूमि में मन्ना खाया , फिर भी वह मर गए. मैं जीस रोटी के विषय में कहता हूं, वह स्वर्ग से उतरती है और जो उसे खाता है, वह नहीं मारता. स्वर्ग से उतरी हुई वह जीवंत रोटी में हूं. यदि कोई वह रोटी खाएगा, तो वह सदा जीवित रहेगा. जो रोटी में दूंगा, वह संसार के जीवन के लिए अर्पित मेरा मांस है.
यहूदी आपस में यह कहते हुए वाद - विवाद कर रहे थे, यह हमें खाने के लिए अपना मांस कैसे दे सकता है? इसलिए ईसा ने उनसे कहा, मैं तुम लोगों से यह कहता हूं, यदि तुम मानव पुत्र का मांस नहीं खाओगे और उसका रक्त नहीं पियोगे, तो तुम्हें जीवन प्राप्त नहीं होगा. जो मेरा मांस खाता और मेरा रक्त पीता है, उसे अनंत जीवन प्राप्त है और मैं उसे अंतिम दिन पुनर्जीवित कर दूंगा; क्योंकि मेरा मन सच्चा भोजन है और मेरा रक्त सच्चा पेय .
जो मेरा मांस खाता और मेरा रक्त पीता है, वह मुझ में निवास करता है और मैं उस में. जिस तरह जीवंत पिता ने मुझे भेजा है और मुझे पिता से जीवन मिलता है, इस तरह जो मुझे खाता है, उसको मुझे जीवन मिलेगा. यही वह रोटी है, जो स्वर्ग से उतरी है, जो स्वर्ग से उतरी है. यह उसे रोटी के सदृश नहीं है, जिससे तुम्हारे पूर्वजों ने खायी थी. वह तो मर गए, किंतु जो या रोटी खाएगा, वह अनंत काल तक जीवित रहेगा.
निष्कर्ष:
प्रभु यीशु ने "जीवन की रोटी" कहकर यह दिखाया कि वह आत्मा की भूख को मिटाने वाले और अनन्त जीवन देने वाले हैं। यह वचन हमें केवल सांसारिक चीज़ों पर निर्भर रहने के बजाय, आत्मिक तृप्ति और जीवन के लिए यीशु पर विश्वास करने का आह्वान करता है।
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