Monday, January 6, 2025

मांगो और तुम्हें दिया जाएगा, ढूंढो और तुम्हें मिल जाएगा, खटखटाओ और तुम्हारे लिए खोला जाएगा.[मत्ती 7:7-8]

मांगो और तुम्हें दिया जाएगा, ढूंढो और तुम्हें मिल जाएगा, खटखटाओ और तुम्हारे लिए खोला जाएगा.[मत्ती 7:7-8] 

मांगो और तुम्हें दिया जाएगा, ढूंढो और तुम्हें मिल जाएगा, खटखटाओ और तुम्हारे लिए खोला जाएगा.[मत्ती 7:7-8] क्योंकि जो मांगता है, उस दिया जाता है, जो ढूंढता है, उसे मिल जाता है और जो खटखटाता है, उसके लिए खोला जाता है.

यदि तुम्हारा पुत्र तुमसे रोटी मांगे तो तुम में ऐसा कौन है जो उसे पत्थर देगा अर्थात मछली मांगे तो उसे सांप देगा? बुरे होने पर भी यदि तुम लोग अपने बच्चों को सहज ही अच्छी चीज देते हो, तो तुम्हारा स्वर के पिता मांगने वाले को अच्छी चीज क्यों नहीं देगा ?

मांगो और तुम्हें दिया जाएगा, ढूंढो और तुम्हें मिल जाएगा, खटखटाओ और तुम्हारे लिए खोला जाएगा.

इस वचन का अर्थ:-यह वचन बाइबल से लिया गया है और इसका अर्थ गहराई और प्रेरणा से भरा हुआ है। इसका सरल अर्थ यह है कि यदि आप किसी चीज़ की सच्चे मन से इच्छा करते हैं और प्रयास करते हैं, तो वह आपको अवश्य प्राप्त होगी।

* मांगो, तो तुम्हें दिया जाएगा:- यदि आप कुछ चाहते हैं और पिता परमेश्वर से प्रार्थना करते हैं, तो वह आपको अवश्य मिलेगा। यह प्रार्थना और विश्वास की शक्ति को दर्शाता है।

* ढूंढ़ो, तो तुम पाओगे:-यदि आप किसी चीज़ की खोज करेंगे, उसे पाने के लिए मेहनत करेंगे, तो उसे पा लेंगे। यह प्रयास और दृढ़ निश्चय का प्रतीक है।इसमें परमेश्वर जरूर आपकी सहायता करेंगे 

* खटखटाओ, तो तुम्हारे लिए खोला जाएगा:- यदि आप दरवाजा खटखटाएंगे (अर्थात अवसर की तलाश करेंगे), तो वह अवसर आपके लिए खुल जाएगा।पिता परमेश्वर, हर किसी को अवसर प्रदान करते हैं. कठिन समय पर भी उनके साथ रहते हैं.

निष्कर्ष:-

इसका मुख्य संदेश यह है कि सच्चे प्रयास, प्रार्थना, और विश्वास के साथ किए गए कामों का परिणाम मिलता है। यह मनुष्य को प्रेरित करता है कि वह परमेश्वर पर विश्वास रखे और अपने जीवन में सच्चाई, प्रयास, और धैर्य का पालन करे।


Tuesday, December 31, 2024

Prayer to God for the new year 2025! नए साल 2025 के लिए परमेश्वर से प्रार्थना !

नए साल 2025 के लिए परमेश्वर से प्रार्थना !

नए साल 2025 के लिए प्रभु यीशु से प्रार्थना करते समय आप अपने दिल की बात सादगी और विश्वास के साथ उनके सामने रख सकते हैं। यहाँ एक प्रार्थना का सुझाव दिया गया है जो नए साल की शुरुआत के लिए मार्गदर्शन कर सकती है:

नए साल  2025 के लिए की प्रार्थना! 

हे प्रिय परमेश्वर , मैं आपके चरणों में धन्यवाद और आभार  के साथ झुकता हूँ।

आपने मुझे अब तक अपनी असीम कृपा से संभाला है, इसके लिए मैं आपका आभार व्यक्त करता हूँ।
इस नए साल में, मुझे आपकी उपस्थिति, मार्गदर्शन, और प्रेम की आवश्यकता है। मुझे शांति, धैर्य और साहस से भर दें ताकि मैं आपके उद्देश्यों को समझ सकूँ और उन पर चल सकूँ।मेरे परिवार, दोस्तों, और सभी प्रियजनों पर अपनी कृपा बनाए रखें।
हमें स्वास्थ्य, आनंद और आपसी प्रेम में बढ़ने का आशीर्वाद दें।

प्रभु, मुझे सिखाएँ कि मैं आपके वचन का पालन कर सकूँ।
मेरे हृदय को आपके प्रति विश्वास और निष्ठा से भर दें।
इस साल के हर दिन, मुझे आपकी रोशनी में चलने और आपके नाम को महिमा देने की प्रेरणा दें। मैं इस साल को आपके हाथों में सौंपता हूँ। आप जो भी करें, वही मेरे लिए सर्वोत्तम होगा।आपकी इच्छाओं के अनुसार मेरा जीवन चलाएँ। आमेन

बाइबल में दिए गए नए साल के लिए वचन:-

इसायाह का ग्रंथ:-43-18,19 :- पिछली बातें भुला दो, पुरानी बातें जाने दो. देखो, मैं एक नया कार्य करने जा रहा हूं.वह प्रारंभ हो चुका है. क्या तुम उसे नहीं देखते? मैं मर भूमि में मार्ग बनाऊंगा और उजाड़ प्रदेश में पथ तैयार करूंगा.

* संत पेत्रुस का पहला पत्र :-5-7 आप अपनी सारी चिंताएं उस पर छोड़ दे, क्योंकि वह आपकी सुधि लेता है. 

* कुरिथिंयों के नाम दूसरा पत्र :-5.17 :-  इसका अर्थ यह है कि यदि कोई मसीह के साथ एक हो गया है, तो वह  नए सृष्टि बन गया है. पुरानी बातें समाप्त हो गई है और सब कुछ नया हो गया है.

सूक्ति ग्रंथ 3-5.6 :- तुम सारे हृदय से प्रभु का भरोसा करो; अपने बुद्धि पर निर्भर मत रहो. अपने सब कार्यों में उसका ध्यान रखो. वह तुम्हारा मार्ग प्रशस्त कर देगा. 


नए साल 2025 की हार्दिक शुभकामनाएं! 

यह साल आपके जीवन में ढेर सारी खुशियां, सफलता और समृद्धि लेकर आए। आप अपने हर लक्ष्य को प्राप्त करें और आपके सभी सपने साकार हों। इस नए साल में स्वास्थ्य, शांति और प्रेम आपके जीवन के हर पहलू में झलकें। 

पिता परमेश्वर कि आशीष और कृपा  आपके परिवार  में बने रहे. Happy New Year


Sunday, December 29, 2024

Parable of the lost sheep ! भटकी हुई भेड़ का दृष्टांत !

भटकी हुई भेड़ का दृष्टांत !  parable of the lost sheep ! 

भटकी हुई भेड़ का दृष्टांत, बाइबिल में यीशु मसीह द्वारा दिया गया एक महत्वपूर्ण दृष्टांत है, जो पापी के पश्चाताप और ईश्वर के प्रेम को समझाने के लिए बताया गया है। यह दृष्टांत यीशु मसीह ने यह सिखाने के लिए दिया था कि  परमेश्वर पिता प्रत्येक व्यक्ति को कितना मूल्यवान और प्रिय मानते हैं, विशेष रूप से उन लोगों को जो खो गए हैं (पाप में पड़े हैं) और उन्हें वापस लाने के लिए कितना प्रयास करते हैं।इसका उल्लेख मुख्य रूप से लूका 15:3-7 और मत्ती 18:11-14 में किया गया है।

आइऐ हम इस आर्टिकल में जाने   की बाइबिल में भटकी हुई भेड़ का दृष्टांत,में क्या  लिखा गया है?  

 भटकी हुई भेड़ का दृष्टांत  ![लूका 15:3-7]

प्रभु यीशु का उपदेश सुनने के लिए नातेदार और पापी उनके पास आया करते थे! फरीसी और शास्त्रीय यह कहते हुए भुंभुनाते थे, यह मनुष्य पापियों का स्वागत करता है और उनके साथ खाता पीता है. इस पर यीशु मसीह  ने उनको यह दृष्टांत सुनाया, यदि तुम्हारे 100 भेड़े  हों और उन में एक भी भटक जाए, तो तुम लोगों में कौन ऐसा होगा जो 99 भेड़ों  को निर्जन प्रदेश में छोड़कर न जाए और उसे भटकी हुई को तब तक न खोजता रहे, जब तक वह उसे नहीं पाए? पाने पर वह आनंदित होकर उसे अपने कंधों पर रख लेता है और घर आकर अपने मित्रों और पड़ोसियों को बुलाता है और उनसे कहता है, मेरे साथ आनंद मनाओ, क्योंकि मैं अपनी भटकी हुई  भेड़ को पा लिया है. मैं तुमसे कहता हूं, इसी प्रकार 99 धर्मियों की अपेक्षा जीने पश्चाताप की आवश्यकता नहीं है, एक पश्चातापी पापी के लिए स्वर्ग में अधिक आनंद मनाया जाएगा.


भटकी हुई भेड़ का दृष्टांत  ! [मत्ती 18:11-14]

जो खो गया था उसी को बचाने के लिए मानव पुत्र आया है. तुम्हारा क्या विचार है- यदि किसी के 100 भेड़े हो और उन में एक भी भटक जाए, तो क्या वह 99 भेड़ों को पहाड़ी पर छोड़कर उस भटकी हुई भेड़ को खोजने  नहीं जाएगा ?  और यदि वह उसे पाए,  तो मैं विश्वास दिलाता हूं कि  उसे उन 99 की अपेक्षा, जो भटकी नहीं थी, उस भेड़ के कारण अधिक आनंद होगा. इसी तरह मेरा स्वर्ग पिता  नहीं चाहता कि उन  नन्हों  में से एक भी खो जाए.

इस दृष्टांत का अर्थ:-   हर व्यक्ति मूल्यवान है 

यह दृष्टांत सिखाता है कि प्रत्येक व्यक्ति  परमेश्वर पिता के लिए अनमोल है।
खोई हुई भेड़ उस व्यक्ति का प्रतीक है जो पाप या अज्ञान के कारण परमेश्वर पिता से दूर हो गया है।दृष्टांत बताता है कि  परमेश्वर पिता हर पापी को वापस बुलाने के लिए सक्रिय प्रयास करते हैं।


* परमेश्वर पिता की करुणा:-चरवाहा परमेश्वर पिता का प्रतीक है जो हर खोए हुए व्यक्ति को खोजते हैं।
परमेश्वर पिता अपने बच्चों को कभी नहीं छोड़ते और उन्हें वापस लाने के लिए पूरी मेहनत करते हैं।

* यह दृष्टांत प्रेम, करुणा, और क्षमा का संदेश देता है।
यह हमें सिखाता है कि हमें भटके हुए लोगों की मदद करनी चाहिए और उनकी वापसी का स्वागत करना चाहिए। साथ ही, यह  परमेश्वर पिता के असीम प्रेम और दया को उजागर करता है, जो हर पापी को अपना मानते हैं।जो जीवन में भटक गए हैं और उनके पुनरुत्थान के प्रयासों में खुशी मनानी चाहिए।

*  परमेश्वर पिता हमें कभी नहीं छोड़ते। चाहे हम कितने ही खोए हुए क्यों न हों, उनका प्रेम हमें हमेशा वापस लाने के लिए तैयार रहता है।


Tuesday, December 24, 2024

Why is Christmas celebrated on 25th December? 25 दिसंबर को क्रिसमस क्यों मनाया जाता है?

25 दिसंबर को क्रिसमस क्यों मनाया जाता है?  


* क्रिसमस 25 दिसंबर को ईसा मसीह (Jesus Christ) के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है। यह दिन ईसाई धर्म के सबसे महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है। 25 दिसंबर को क्रिसमस मनाने के पीछे ऐतिहासिक, धार्मिक और सांस्कृतिक कारण हैं:


* प्रभु यीशु मसीह के जन्म की कहानी बाइबिल में "नया विधान " (New Testament) के दो पुस्तकों, संत मत्ती (st.Matthew) और संत लूका (st. Luke) में वर्णित है। यह कहानी उनके दिव्य जन्म, उनके माता-पिता, और उनके आगमन के विशेष चिह्नों का वर्णन करती है।


* बाइबिल में ईसा मसीह के जन्म की तिथि स्पष्ट रूप से नहीं दी गई है। हालाँकि, चौथी शताब्दी में रोमन साम्राज्य ने 25 दिसंबर को ईसा मसीह के जन्मदिन के रूप में मान्यता दी।
यह दिन शीत अयनांत (Winter Solstice) के करीब आता है, जब दिन छोटे और रातें लंबी होती हैं, और इसके बाद दिन फिर से बड़े होने लगते हैं। इसे प्रतीकात्मक रूप से "प्रकाश के आगमन" के रूप में देखा गया, जो ईसा मसीह के जीवन से जोड़ा गया।

आईऐ इस लेख में हम जानेंगे कि  पवित्र बाइबल [ THE HOLY BIBLE ] में नया विधान (New Testament) के दो पुस्तकों  संत मत्ती (st.Matthew) और संत लूका (st. Luke) में क्या लिखा गया है?


यीशु के जन्म [लूका 2:1-20 और मत्ती 1:18-25]

1. मरियम और स्वर्गदूत का संदेश:

बाइबिल के अनुसार, मरियम (Mary) एक पवित्र कुंवारी युवती थी, जो युसूफ(Joseph) से विवाह के लिए प्रतिज्ञा कर चुकी थी।स्वर्गदूत गेब्रियल (Gabriel) ने मरियम को संदेश दिया कि वह पवित्र आत्मा के द्वारा गर्भवती होगी और वह एक पुत्र को जन्म देगी। वह उसका नाम इम्मानुएल रखेगी।"  "इम्मानुएल" का अर्थ है "ईश्वर हमारे साथ।" स्वर्गदूत ने यह भी बताया कि यह बच्चा परमेश्वर का पुत्र होगा और वह संसार का उद्धार करेगा।

2.  युसूफ (Joseph) को स्वर्गदूत का दर्शन:

माता  मरियम की मंगनी युसूफ (Joseph) से हुई थी, परंतु ऐसा हुआ कि उनके एक साथ रहने से पहले ही मरियम पवित्र आत्मा से गर्भवती हो गई. उसका पति युसूफ (Joseph) चुपकै से उसका परित्याग करने की सोच रहा था. क्योंकि वह धर्मी था और मरियम को बदनाम नहीं करना चाहता था.वह इस पर विचार कर ही रहा था कि उसे स्वप्न में प्रभु का दूत यह कहते दिखाई दिया, युसूफ! (Joseph) दाऊद की संतान! अपनी पत्नी मरियम को अपने यहां लाने में नहीं डरे, क्योंकि उनके जो गर्व है, वह पवित्र आत्मा से है. वह पुत्र प्रसव करेगी और आप उसका नाम ईसा रखेंगे, क्योंकि वह अपने लोगों को उनके पापों से मुक्त करेगा. युसूफ (Joseph) ने मरियम से विवाह किया और परमेश्वर के आदेश का पालन किया।


3. बेथलेहम में यीशु का जन्म:-

उस दिन केसर अगस्तस मैं समस्त जगत की जनगणना की राजाज्ञा  निकाली. यह पहली जनगणना थी और उसे  समय क्विरिनियुस    सीरिया का राज्यपाल था. सब लोग नाम लिखवाने के लिए अपने-अपने नगर जाते थे. युसूफ दाऊद के घराने और वंशज का था. इसलिए वह गाली लिया के नाज़रथ से यहूदियों में दौड़ के नगर बेथलहम गया, जिससे वह अपनी गर्भवती पत्नी मरियम के साथ नाम लिखवाए. वह वही थे जब मरियम के गर्भ के दिन पूरे हो गए, और उसने अपने वह पहलोठे पुत्रों को जन्म दिया और उसे कपड़ों में लपेटकर जरनी में लिटा दिया; क्योंकि उनके लिए सराय में जगह नहीं  थी.

4. स्वर्गदूतों का संदेश और गड़रियों का आगमन:-

उस रात, स्वर्गदूतों ने पास के मैदानों में चरवाहों को यीशु के जन्म की सूचना दी। उन्होंने कहा, "आज दाऊद के नगर में तुम्हारे लिए एक उद्धारकर्ता जन्मा है।"
चरवाहे तुरंत चरनी के पास गए, यीशु को देखा, और परमेश्वर की महिमा करने लगे।


5. पूर्वज्योतिषी और तारा:-

संत मत्ती के अनुसार, कुछ ज्योतिषी पूरब से आए और उन्होंने एक तारा देखा, जो उन्हें यीशु के पास ले गया।
वे बालक यीशु को सोने, लोबान, और गंधरस के उपहार चढ़ाने आए। यह उपहार उनके राजा, ईश्वर और उनके बलिदान के प्रतीक थे।


6. हेरोद का षड्यंत्र और मिस्र पलायन:-

राजा हेरोद को यीशु के जन्म के बारे में पता चला, और उसने बालक को मारने की योजना बनाई। स्वर्गदूत ने युसूफ (Joseph) को चेतावनी दी, और वह मरियम और यीशु के साथ मिस्र चले गए।


आज के समय में क्रिसमस न केवल एक धार्मिक त्योहार है, बल्कि यह वैश्विक स्तर पर सांस्कृतिक और सामाजिक उत्सव बन गया है। इस दिन परिवार एक साथ समय बिताते हैं, उपहारों का आदान-प्रदान करते हैं, और दान करते हैं।


इस तरह, 25 दिसंबर को क्रिसमस मनाने का निर्णय धार्मिक और सांस्कृतिक परंपराओं का परिणाम है।


Why is Christmas celebrated on 25th December? 


* Christmas is celebrated on 25 December as the birthday of Jesus Christ. This day is one of the most important festivals of Christianity. The historical, religious and cultural reasons behind celebrating Christmas on 25 December are:

* The story of the birth of Lord Jesus Christ is described in the Bible in two books of the "New Testament", St. Matthew and St. Luke. This story describes His divine birth, His parents, and the special signs of His arrival.


* The date of birth of Jesus Christ is not clearly given in the Bible. However, in the 4th century the Roman Empire recognized December 25 as the birthday of Jesus Christ. This day comes near the Winter Solstice, when the days become shorter and the nights longer, and then the days start getting longer again. It was seen symbolically as the "coming of light", linked to the life of Jesus Christ.

Come, in this article we will know what is written in the Holy Bible  in the two books of the New Testament, St. Matthew and St. Luke?

The Birth of Jesus [Luke 2:1-20 and Matthew 1:18-25

1. Mary and the angel's message:-   According to the Bible, Mary was a holy virgin who was promised in marriage to Joseph. The angel Gabriel gave the message to Mary that she would be pregnant by the Holy Spirit and would bear a son. Will give birth to.She will name him Immanuel." "Immanuel" means "God with us." The angel also revealed that the child would be the Son of God and that he would save the world.

2. Angel's vision to Joseph:-

Mother Mary was betrothed to Joseph, but before they could live together, Mary became pregnant by the Holy Spirit. Her husband Yusuf was secretly thinking of abandoning her. Because he was righteous and did not want to dishonor Mary. While he was thinking about this, an angel of the Lord appeared in his dream saying, Joseph! Son of David! Don't be afraid to bring your wife Mary with you, because their pride is from the Holy Spirit. She will give birth to a son and you will name him Isa, because he will free his people from their sins. Joseph married Mary and followed God's orders.

3. Birth of Jesus in Bethlehem:-

That day, Caesar Augustus issued a royal order to conduct a census of the entire world. This was the first census and was conducted at the time Quirinius was governor of Syria. Everyone used to go to their respective cities to get their names enrolled. Joseph belonged to the family and descendants of David. So he took abuse and ran from Nazareth among the Jews to the city of Bethlehem, so that he could enroll with his pregnant wife Mary. It was there that the days of Mary's pregnancy were completed, and she gave birth to her firstborn sons and wrapped him in clothes and laid him on the journey; Because there was no room for them in the inn.


4. Message of angels and arrival of shepherds:-

That night, angels announce the birth of Jesus to shepherds in the nearby fields. They said, "Today a Savior is born for you in the city of David."
The shepherds immediately went to the manger, saw Jesus, and began to praise God.

5. Astrologer and Star:-

According to St. Matthew, some wise men came from the east and saw a star, which led them to Jesus.
They came to offer gifts of gold, frankincense, and myrrh to the baby Jesus. These gifts were symbols of their king, God and their sacrifice.


6. Herod's conspiracy and escape to Egypt:-

King Herod learned of Jesus' birth, and planned to kill the child. The angel warned Joseph, and he accompanied Mary and Jesus to Egypt.

Today, Christmas is not only a religious festival, but it has also become a cultural and social celebration on a global scale. On this day families spend time together, exchange gifts, and make donations.

In this way, the decision to celebrate Christmas on December 25 is the result of religious and cultural traditions.



Thursday, December 19, 2024

प्रभु यीशु के आशीष पाने के लिए हमें क्या करना चाहिए ? What should we do to receive the blessings of Jesus Christ?

प्रभु यीशु के आशीष पाने के लिए हमें क्या करना चाहिए ?    

प्रभु यीशु के आशीष पाने के लिए हमें उनकी शिक्षाओं का पालन करना चाहिए और उनके प्रति सच्ची श्रद्धा और विश्वास रखना चाहिए।जिस प्रकार से प्रभु यीशु के शिष्यों ने प्रभु पर विश्वास करते हुए प्रार्थना   करते रहे .और प्रभु यीशु आशीष के वजह से उन्हें पवित्र आत्मा की प्राप्ति हुई थी. यहाँ कुछ महत्वपूर्ण बातें हैं जो हमें उनके आशीष के योग्य बनाती हैं: 

 

 1. विश्वास और प्रार्थना :-  

*इसलिए मैं तुमसे कहता हूं- तुम जो कुछ प्रार्थना में मांगते हो, विश्वास करो कि वह तुम्हें मिल गया है और वह तुम्हें दिया जाएगा.[ संत मारकुस :-11- 14]

*वह विश्वास पूर्ण प्रार्थना रोगी को बचाएगी और प्रभु उसे स्वास्थ्य प्रदान करेगा यदि उसने पाप किया है, तो उसे क्षमा मिलेगी संत याकूब का पत्र 5-15 ]

 (1) प्रभु यीशु पर सच्चा विश्वास रखें।  

   (2)  नियमित रूप से प्रार्थना करें और उनके मार्गदर्शन की प्रार्थना करें। 

 

 2. प्रेम और दया:-  

प्रेम सहनशील और दयालु है. प्रेम न ईर्ष्या  करता है ,न डिंग मारता ,  न घमंड करता है. प्रेम अशोभनीय व्यवहार नहीं करता. वह अपना स्वार्थ नहीं खोजना. प्रेम ना तो झुन्झूलता है और न बुराई का लेख रखता है. वह दूसरों के पाप से नहीं बल्कि उनके सदाचरण से प्रसन्न होता है. वह सब कुछ ढांक देता है, सब कुछ पर विश्वास करता है, सब कुछ किया आशा करता और सब कुछ सह लेता है. [कुरिंथियों के नाम पहला पत्र: 13:-4.7]

(1)यीशु ने हमें सिखाया है कि हमें अपने पड़ोसी से वैसे ही प्रेम करना चाहिए जैसे हम खुद से करते हैं।  धर्मग्रंथ कहता है- तुम अपने पड़ोसी को अपने सामान प्यार करो. यदि आप इसके अनुसार सबसे बड़ी आज्ञा पूरी करते हैं, तो अच्छा करते हैं.[संत याकूब का पत्र:-2-8]


 (2) जरूरतमंदों की मदद करें और दूसरों के प्रति दयालु बनें।  


 स्वर्ग के ईश्वर की स्तुति करो.उसका प्रेम अनंत काल तक बना रहता है [स्रोत ग्रंथ(भजन संहिता) 136- 2]

 3. पापों का पश्चाताप :-   

  मैं धर्मियों को नहीं पापियों को पश्चाताप के लिए बुलाने आया हूं.[संत लुकस:-5-32]

मैं तुमसे कहता हूं, ऐसा नहीं है; लेकिन यदि तुम पश्चाताप नहीं करोगे, तो सब के सब उसी तरह नष्ट हो जाएंगे.[संत लुकस:-13-5]

(1)-अपने किए गए पापों के लिए ईमानदारी से पछतावा करें।  

(2)- प्रभु से क्षमा मांगें और सही मार्ग पर चलने का संकल्प लें। 


 

4. बाइबल का अध्ययन:-  

 (1)- बाइबल पढ़ें और उसमें दी गई शिक्षाओं को अपने जीवन में लागू करें।  
 (2)  - विशेष रूप से  प्रभु यीशु के उपदेशों (जैसे कि पर्वत उपदेश) को समझने और जीने का प्रयास करें।  


 5. सच्चा अनुयायी बनें  :-  तुम में ऐसी बात नहीं होगी. जो तुम लोगों में बड़ा होना चाहता है, वह तुम्हारा सेवक बने. और जो तुम में प्रधान होना चाहता है, वह तुम्हारा दास बन; क्योंकि मानव पुत्र भी अपनी सेवा करवाने नहीं, बल्कि सेवा करने तथा बहुतों के उद्धार के लिए अपने प्राण देने आया है.[संत मत्ती 20-26.28 ]

  (1) - अपने कार्यों और विचारों में ईमानदारी रखें।  
   (2)- हमेशा सत्य बोलें और दूसरों की भलाई के लिए काम करें।  

 6. धैर्य और विश्वास बनाए रखें  :-  भाइयों! जब आप लोगों को अनेक प्रकार के विपत्तियों का सामना करना पड़े तो अपने को धन्य समझिए. आप जानते हैं कि आपका विश्वास का इस प्रकार का परीक्षण धैर्य उत्पन्न करता है. धैर्य को पूर्णता तक पहुंचने दीजिए, जिससे आप लोग स्वयं पूर्ण तथा अनिंद्य बन जाए, और आप में किसी बात की कमी नहीं रहे. [संत याकूब का पत्र 1:- 2.4]

  (1) - कठिन समय में भी प्रभु यीशु पर विश्वास बनाए रखें।  
   (2) - यह समझें कि उनका आशीर्वाद हमेशा सही समय पर आता है।  


यदि आप यीशु के बताए मार्ग पर चलेंगे और उनके प्रति सच्चा प्रेम और समर्पण दिखाएंगे, तो आप उनके आशीर्वाद के पात्र बनेंगे।


What should we do to receive the blessings of  Jesus  Christ?


To receive the blessings of  Jesus Christ, we must follow His teachings and have true faith and belief in Him.The way the disciples of  Jesus Christ kept praying with faith in the Lord, and because of the blessings of Lord Jesus, they received the Holy Spirit.

 Here are some important things that make us worthy of His blessings:-

1. Faith and prayer :-

Therefore I say to you - Whatever you ask in prayer, believe that you have received it and it will be given to you. [St. Mark: -11- 14]


That prayer full of faith will save the sick and the Lord will give him health. If he has sinned, he will be forgiven [Letter of St. James 5-15]

(1) Have true faith in  Jesus  Christ.  
(2) Pray regularly and ask for His guidance.



2. Love and kindness:-

Love is tolerant and kind. Love neither envies, nor brags, nor is proud. Love does not behave indecently. He should not seek his own interests. Love neither gets irritated nor keeps any record of evil. He is pleased not by the sins of others but by their good conduct. He covers all things, believes all things, hopes all things and endures all things. [First Epistle to the Corinthians: 13:-4.7]


(1) Jesus taught us that we should love our neighbor as we love ourselves.  The scriptures say – Love your neighbor as yourself. If you fulfill the greatest commandment according to this, you do well. [Letter of Saint James:-2-8]

(2) Help the needy and be kind to others.Praise the God of heaven. His love endures forever [Psalm 136-2]


3. Repentance of sins :-

I have come to call sinners to repentance, not the righteous. [St. Luke:-5-32]

I tell you, it is not so; But if you do not repent, you will all be destroyed in the same way. [St. Luke:-13-5]

(1)-Repent sincerely for the sins you have committed.

(2)- Ask for forgiveness from the Lord and resolve to follow the right path.


4. Study of Bible:-

(1)- Read the Bible and apply the teachings given in it in your life.  
 (2) - especially Try to understand and live the teachings of the Lord Jesus Christ(such as the Sermon on the Mount).


5. Be a true follower: - 

This will not happen in you. Whoever wants to become great among you, let him become your servant. And whoever wants to be chief among you, let him become your servant; Because the Son of Man has not come to be served, but to serve and to give his life for the salvation of many. [St. Matthew 20-26.28]

(1) - Be honest in your actions and thoughts.  

(2)- Always speak the truth and work for the welfare of others.


6. Maintain patience and faith:- 

Brothers! When you people have to face many types of adversities, consider yourself blessed. You know that this kind of testing of your faith produces patience. Let patience reach perfection, so that you yourself become perfect and incorruptible, and you lack nothing. [Letter of Saint James 1:- 2.4]


(1) - Maintain faith in Lord Jesus even in difficult times.  
   (2) - Understand that His blessings always come at the right time.


If you follow the path shown by Jesus Christ and show true love and devotion towards him, you will become eligible for his blessings.


Monday, December 16, 2024

प्रभु यीशु के जन्म के विषय में बाइबल के पुराने विधान (Old Testament) में कई भविष्यवाणियां की गई .

प्रभु यीशु के जन्म के विषय में बाइबल के पुराने विधान (Old Testament) में कई भविष्यवाणियां की गई .  


हेलो मसीह भाई और बहनों, आज कि इस लेख में हम जाएंगे की, प्रभु यीशु के जन्म के विषय में बाइबल के पुराने विधान (Old Testament) में कई भविष्यवाणियां की गई हैं, जो उनके आगमन और उनके जीवन के विभिन्न पहलुओं को दर्शाती हैं। यह भविष्यवाणियां उनके मसीहा होने का संकेत या संदेश देती हैं. आइए हम जाने की पुराने विधान (Old Testament) में प्रभु यीशु के जन्म की भविष्यवाणी के विषय में किन-किन वचनों में कहां गया है?


(1) प्रभु यीशु मसीहा का जन्मस्थान  की भविष्यवाणी:-
   मीकाह  का ग्रंथ 5:1  

   "हे बेतलेहेम एफ्राता !
जो यूदा के वंशों में छोटा है.
जो इजराइल का शासन करेगा, 
वह मेरे लिए तुझ में उत्पन्न होगा.
उसकी उत्पत्ति सुदूर अतीत में,
अत्यंत प्राचीन काल में हुई है.

   - यह भविष्यवाणी स्पष्ट करती है कि मसीहा बेतलेहेम में जन्म लेंगे, और यह प्रभु यीशु मसीह के जन्मस्थान से मेल खाती है।


(2.) कुंवारी कन्या से जन्म लेने की भविष्यवाणी  
   *इसायाह का ग्रंथ 7:14 इम्मनूल का चिन्ह :-

    प्रभु स्वयं तुम्हें एक चिन्ह देगा और वह यह है-
एक कुंवारे गर्भवती है वह एक पुत्र को प्रसव करेगी और वह उसका नाम इम्मानुएल रखेगी।"  
   - "इम्मानुएल" का अर्थ है "ईश्वर हमारे साथ।" 

इस वचन में, भविष्यवाणी प्रभु यीशु के अद्भुत और अलौकिक जन्म की ओर संकेत करती है।


( 3.) दाऊद के वंशज के रूप में मसीहा की भविष्यवाणी
   इसायाह 9:5.6  

   "यह इसलिए हुआ कि हमारे लिए
 एक बालक उत्पन्न हुआ है,
हमको एक पुत्र मिला है.
उसके कंधों पर राज्याधिकार रखा गया है
और  उसका नाम होगा- अपूर्व परामर्शदाता, शक्तिशाली ईश्वर, शाश्वत पिता,शांति का राजा.
वह दाऊद के सिंहासन पर विराजमान होकर सदा के लिए शांति, न्याय और धार्मिकता का साम्राज्य स्थापित करेगा
विश्वमंडल के प्रभु का अनन्य प्रेम यह कार्य संपन्न करेगा.

- यह वचन स्पष्ट करता है कि मसीहा दाऊद के वंश से आएंगे और उनकी प्रभुता अनन्तकाल तक बनी रहेगी।



(4.) मसीहा का स्वर्गीय उद्देश्य
   उत्पत्ति ग्रंथ 3:15 
 

   "मैं तेरे और स्त्री के बीच, तेरे वंश और उसके वंश में शत्रुता उत्पन्न करूंगा.वह तेरा सिर कुचल देगा और तू उसकी एडी काटेगा.

    यह पहली मसीहाई भविष्यवाणी मानी जाती है, जो पाप और शैतान पर यीशु की विजय की ओर इशारा करती है।



(5.) मसीहा के आगमन का समय की भविष्यवाणी
   दानिएल का ग्रंथ 9:25   

   "अतः जानकर यह समझ लो,
जेरूसलम के पुननिर्माण के विषय में आदेश प्रसारित होने से लेकर अभ्यंजीत नेता के आगमन तक 7 सप्ताह बीत जाएंगे;
फिर 62 सप्ताह तक चौको और खाई सहित उसका निर्माण
वह भी आपत्ति के दिनों में पूरा होगा।"  

   - यह भविष्यवाणी यीशु के आगमन और उनके मिशन की समय-सीमा को दिखाती है।




(6.) विदेशियों द्वारा आराधना,  
   स्रोत ग्रंथ (भजन संहिता )72:10-11  

   "  तसशीश और  द्वीपों के राजा
उन्हें उपहार देने आएंगे,शेबा और सबा के राजा
उन्हें भेंट चढ़ने आएंगे.
सभी राजा उन्हें दंडवत करेंगे.
सभी राष्ट्र उनके अधीन रहेंगे.

   - यह मसीहा के प्रति विदेशी राजाओं (जैसे, ज्योतिषियों) की आराधना की भविष्यवाणी है।


पुराना विधान (Old Testament)  प्रभु यीशु मसीहा के आने का मार्ग तैयार करता है, और नया विधान उनके जन्म, जीवन, मृत्यु, और पुनरुत्थान के विवरण को पूर्ण करता है। इन भविष्यवाणियों का नया विधान (New Testamewnt) में पूरा होना यह प्रमाणित करता है कि प्रभु यीशु मसीह ही वह प्रतिज्ञात मसीहा हैं।

Thursday, December 12, 2024

सीरुस से सहायता का संदेश (इसायाह का ग्रंथ 41:-13.20)

सीरुस से सहायता का संदेश( इसायाह का ग्रंथ 41:-13.20)


 क्योंकि मैं तुम्हारा प्रभु ईश्वर हूं.
मैं तुम्हारा दाहिना हाथ पकड़ कर तुमसे कहता हूं-
मत डरो; देखो, मैं तुम्हारी सहायता करूंगा.


याकूब! तुम कीड़े जैसे हो गए हो.
इजरायल! तुम शव जैसे हो गए हो.
प्रभु कहता है- मैं तुम्हारी सहायता करूंगा,
इजराइल का परम पावन प्रभु तुम्हारा उद्धारक़ है.


मैं तुमको दंवरी का यंत्र बनाता हूं-
नया सुधार और पैना.
तुम पहाड़ों को दांव कर चूर-चूर करोगे
और पहाड़ियों को भूसी बना दोगे.


तुम उन्हें गुस्सा ओसाओगे-
हवा उन्हें उड़ा ले जाएगी
 और आंधी उन्हें छितरा  देगी.
तुम प्रभु में आनंद मनाओगे
और इजरायल के परम पावन ईश्वर पर गौरव 
करोगे.


दरिद्र पानी ढूंढते हैं और पते नहीं,
उनकी जीभ प्यास के मारे सूख गई है.
मैं, प्रभु उनकी दुहाई पर ध्यान दूंगा;
मैं, इजराइल का ईश्वर उन्हें नहीं त्यागूंगा.


मैं उजड़ पहाड़ियों पर से नादियां
 और घाटियों में जल धाराएं बह दूंगा.
मैं मरुभूमि को झील बनाऊंगा
और सूखी भूमि को जल स्रोतों से भर 
दूंगा.


मैं मरुभूमि में देवदार,
बबुल, मेहंदी और जैतून लगा दूंगा.
मैं उजड़ खंड में खजूर चीड़ और चनार के
 वृक्ष लगाऊंगा.


इस प्रकार सब देखकर जानेंगे,
सब उसे पर विचार कर स्वीकार करेंगे
के प्रभु ने यह सब किया है,
इसराइल के परम पावन ईश्वर ने इनकी
सृष्टि की है.


Message of help from Cyrus (Isaiah 41:13.20)


Because I am your God.
I hold your right hand and tell you-
do not fear; Look, I will help you.


Jacob! You have become like insects.
Israel! You have become like a dead body.
The Lord says- I will help you,
The Most Holy Lord of Israel is your Redeemer.


I will make you an instrument of dhanwari-
New improvement and sharpening.
you will raze mountains to pieces
And you will turn the hills into husk.


You will make them angry-
the wind will blow them away
 And the storm will scatter them.
you will rejoice in the lord
And glory to the Most Holy God of Israel 
Will do.


The poor look for water and do not find it,
His tongue has become dry due to thirst.
I, Lord, will pay attention to their cry;
I, the God of Israel, will not abandon them.


I rivers from desolate hills
 And I will make streams of water flow in the valleys.
I will turn the desert into a lake
And fill the dry land with water sources 
Give.

I am a cedar in the desert,
I will apply babul, henna and olive.
I am among the palm trees and poplar trees in the desolate area.
 I will plant trees.


In this way everyone will know after seeing,
everyone will consider and accept him
The Lord has done all this,
The Most Holy God of Israel
Is of creation.





I Am the Bread of Life "जीवन की रोटी मैं"

"जीवन की रोटी मैं" [  I Am the Bread of Life"]  बाइबल में "जीवन की रोटी" का उल्लेख विशेष रूप से यीशु मसीह के द्वारा...